महाशिवरात्रि कहानी प्रतियोगिता हेतु-09-Mar-2024
दिनांक- 09,0 3.2024 दिवस- शनिवार प्रदत्त विषय-महाशिवरात्रि( कहानी)
पुराणों तथा सनातन धर्म के अनुसार भगवान शंकर की आराधना करना सबसे आसान माना गया है। क्योंकि ये ऐसे देवता है जो भक्तों की थोड़ी सी भक्ति से प्रसन्न हो जाते हैं।कहा जाता है इन्हें श्रद्धा और भक्ति से केवल दूध, जल बेलपत्रतेल,शहद अर्पित कर दें, इतने में ही देवाधिदेव महादेव प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों के सभी मनोरथ को शीघ्र ही पूर्ण कर देते हैं।
यही कारण है कि देशभर के लगभग हर शिवालय में, घरों में श्रद्धालु शिवलिंग पर दूध, दही, तेल,शहद,आदि अर्पित करत हैं। किंतु यहांँ यह जानना आवश्यक है कि आख़िर भगवान शंकर को ये वस्तुएंँ क्यों चढ़ाई जाती हैं?
पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन में अमृत और विष दोनों ही निकला अमृत लेने को तो सभी देव और दनुज तैयार थे किंतु विष लेने को कोई तैयार नहीं था। क्योंकि यह विष पूरी धरती को तबाह कर सकता था। ऐसे में देवाधिदेव महादेव ने उस विष को पी लिया किंतु उन्होंने उस विष को कंठ से नीचे नहीं उतारा।यही कारण है कि उनके कंठ का रंग नीला पड़ गया और वो नीलकंठ कहलाए। क्योंकि उन्होंने विष पीया था अतः इसका कुछ तो दुष्परिणाम होना ही था, उनका मस्तक गर्म होने लगा वे अत्यंत उग्र होने लगे। ऐसे में उन्हें ठंडक पहुंँचाने के लिए उनके सर पर जल,दूध,दही, बिल्वपत्र डाला जाने लगा क्योंकि इन चीजों का तासीर ठंडा होता है। इसीलिए शिवरात्रि के दिन या किसी भी शिव पूजा में जल, दध,दही से अभिषेक कर चंदन,बिल्वपत्र चढ़ाया जाता है।
यह तो हुआ देवाधिदेव महादेव को जल, दूध, दही, बेलपत्र, चंदन इत्यादि चढ़ाने का धार्मिक कारण किंतु इसके अतिरिक्त इन वस्तुओं को चढ़ाने का वैज्ञानिक कारण भी है।
यदि हम वैज्ञानिकों की मानें तों शिवलिंग एक विशेष प्रकार के पत्थर का बना होता है जिसे क्षरण से बचाने के लिए उसे सदैव ठंडा तथा चिकन होना ज़रूरी होता है। इसीलिए भगवान शंकर को जल, दूध, दही, शहद, तेल,चंदन जैसी ठंडी और चिकनी चीजें चढ़ाई जाती हैं। ताकि शिवलिंग का छरण न हो।
साधना शाही, वाराणसी
Varsha_Upadhyay
14-Mar-2024 08:03 PM
Nice
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Gunjan Kamal
13-Mar-2024 10:57 PM
शानदार
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HARSHADA GOSAVI
13-Mar-2024 07:55 PM
Amazing
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